आस्था का महापर्व, चारधाम यात्रा शुरू
भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में चारधाम यात्रा का विशेष स्थान है। यह यात्रा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की ओर एक पवित्र यात्रा मानी जाती है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस यात्रा के लिए उत्तराखंड के कठिन लेकिन दिव्य मार्गों पर निकलते हैं। 2025 की चारधाम यात्रा का शुभारंभ पूरे धार्मिक उत्साह और भक्ति भावना के साथ हो चुका है।
चारधाम यात्रा के अंतर्गत चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – के दर्शन किए जाते हैं। ये चारों धाम हिमालय की गोद में स्थित हैं और इनका संबंध चार प्रमुख देवी-देवताओं से है।
यमुनोत्री
चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है, जो यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यहां यमुनाजी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु कठिन पहाड़ी मार्ग से होकर पहुंचते हैं। यमुनोत्री मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में महाराजा प्रताप शाह ने कराया था। यहां गर्म पानी का कुंड भी है, जहां श्रद्धालु प्रसाद पकाते हैं।
गंगोत्री
इसके बाद गंगोत्री आती है, जो गंगा नदी की उत्पत्ति का प्रतीक स्थल है। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा यहां पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, ऐसी मान्यता है। गंगोत्री मंदिर हर साल अक्षय तृतीया पर खुलता है और दिवाली तक खुला रहता है। यह स्थल श्रद्धालुओं को शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।
केदारनाथ
तीसरा धाम केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। 2013 की आपदा के बाद यहां सुविधाओं में बड़ा सुधार हुआ है और सरकार ने यात्रा को सुरक्षित व सुविधाजनक बनाने के लिए विशेष व्यवस्था की है। बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच स्थित केदारनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और साहस का प्रतीक है।
बद्रीनाथ
चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ाव है बद्रीनाथ, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर ‘नारायण’ के रूप में भगवान विष्णु के दर्शन का मुख्य स्थान है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी। अलकनंदा नदी के किनारे स्थित यह धाम श्रद्धालुओं को दिव्यता और शांत ऊर्जा से भर देता है।
चारधाम यात्रा का महत्व
चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। कठिन मार्ग, ऊँचे पहाड़, और भक्ति से भरे श्रद्धालु – यह सब मिलकर इस यात्रा को अद्वितीय बना देते हैं। ऐसा विश्वास है कि चारधाम की यात्रा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।