रिश्तों की कीमत समझना जीवन का सबसे अहम सबक है। रिश्ते पैसे या भौतिक चीज़ों से नहीं तोले जा सकते, क्योंकि उनकी असली पहचान भावनाओं, समझदारी और विश्वास में छुपी होती है।

जब तक हमारे पास अपने लोग होते हैं, हम अकसर उनकी अहमियत नहीं समझते, पर उनके दूर होने पर ही असली कीमत का अहसास होता है। रिश्तों को निभाना आसान नहीं, इसमें त्याग, माफ़ी और परवाह की ज़रूरत होती है।

आज के समय में जहां स्वार्थ और मतलब हावी है, वहीं सच्चे रिश्तों को निभाने वाले लोग बहुत कम रह गए हैं। रिश्ते निभाने के लिए हर बार बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि छोटी-छोटी खुशियों और मुश्किलों में एक-दूसरे के काम आना जरूरी है।

दिखावे के लिए बनाये गये रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिकते, सिर्फ दिल से निभाए गये रिश्ते ही सच्चे होते हैं।

संबंधों की मजबूती इस बात में है कि हम एक-दूसरे की गलतियों को माफ़ कर पाते हैं और साथ निभा पाते हैं। सबसे जरूरी बात है कि जिन रिश्तों की अहमियत है, उन्हें दिल से सहेजें।

कठिनाईयों में साथ खड़े रहने वाला रिश्ता ही असली है, बाकी सब तिनके की तरह टूट सकते हैं।

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